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Bikhre Sikke

Some Famous Books By Sandeep Murarka

पुस्तक बिखरे सिक्के के बारे में

झारखंड राज्य के जमशेदपुर में रहने वाले संदीप मुरारका ने हिंदी लेखन के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किया है़। डॉ. राम मनोहर लोहिया जिन वंचितों एवं पीड़ितों की आवाज थे, उसी वर्ग के लोगों को पुस्तक का अध्याय बनाने का साहस लेखक संदीप ने किया है़। उन्होंने देशभर के विभिन्न राज्यों में फैले जनजातीय समुदायों के वैसे लोगों की जीवनियों को लिखा है़,


ऑटोबायोग्राफी स्टाइल में लिखी गई तीन कहानियों और हॄदय को छूती कुछ कविताओं का संकलन है - बिखरे सिक्के
"रेलवे लाईन के लिए एक ट्राइबल महिला मंगरी देवी की 1.13 एकड़ भूमि अधिग्रहण की गई और मुआवजे के तौर पर उस विधवा महिला को दिए गए मात्र 1848/- रुपए। एक ट्राइबल की पुश्तैनी जमीन का वर्ष 2010 में यह मुआवजा, सुनते ही मुझे लगा कि अब मैं मारा गया " - कहानी 'बिरसा' के अंश
"हर अपराध की अपनी एक वजह होती है और हर अपराधी की अपनी दलीलें। चोरी के पीछे भूखा पेट होता है , बलात्कार के पीछे वासना, चाहे जो हो, अपराधी अपराधी होता है, गोड़से अपराधी था, गाँधी का अपराधी।" - कहानी 'गोड़से.... एक हत्यारा' के अंश
"युद्ध यदि दो वीरों के बीच होता तो शतप्रतिशत बाली जीतते , किन्तु इतिहास गवाह है कि बिना छलकपट के विश्व की कोई लड़ाई ना लड़ी गई , ना जीती गई । और यही प्रेरणा आज के तुम्हारे नेताओं ने सीख ली है कि बिना छल कपट के ना कोई चुनाव लड़ रहा है , ना जीत सकता है।" - 'कहानी तारा.....एक अनकही कथा' के अंश
कविता "ठकुरानी" की कुछ पंक्तियाँ -
किया नहीं विवाह उससे , दिया नहीं अपना नाम , पर हर मंदिर में आज उसी के साथ दिखते श्याम ।
अधूरी है उसके बिना, गिरधर मुरारी की हर मूरत , सूना है हर मंदिर, जहाँ न हो उस प्रेयसी की सूरत ।
अजी! ठकुरानी थी वो बरसाने की, राधा उसका नाम , दुनिया दीवानी घनश्याम की , राधा के दीवाने श्याम ॥
कविता नारी की पीड़ा की कुछ पंक्तियाँ -
भगवान श्रीराम की पत्नी को भी ,  राक्षस के घर रहना पड़ता है ।
सती साध्वियों को भी इस धरती पर ,  अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है ।
हर परीक्षा, गवाह , सबूतों के बाद भी ,  घर से निकलना पड़ता है ।
और फिर , फटती है छाती नारी की जब ,  धरती को भी फटना पड़ता है ।
नारी की पीड़ा समझने के लिये ,  स्वयं नारी बनना पड़ता है॥
कविता "इतिहास नहीं कहानी ये बदले की" से दो पंक्तियाँ - षडयंत्र और साजिशों से भरी हुई , राजसत्ता कॊ बचाते रहे भीष्म कई ।
कविता "हिंदुस्तान सिर्फ हमारा है़" की पंक्तियाँ -
दोजख में जब मैं उनसे मिलूंगा, तो जरूर  पूछूंगा  -  कि रहमान अली तुने होली के गीत किस हक से लिखे ? नज्में फर्ज कॊ लिखने वाले कैफी आजमी तुम हो कौन ? शायर सरदार अली जाफरी ने ये क्या लिख डाला -
अगर कृष्ण की तालीम आम हो जाए तो फितनगरों का काम तमाम हो जाए। मिटाएं बिरहमन शेख तफरूकात अपने जमाना दोनों घर का गुलाम हो जाए।
दिनांक 18 सितंबर, 2016 को जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर एक आंतकी हमला हुआ, जिसमें 16 जवान शहीद हो गए। उरी हमला के नाम से विख्यात इस हमले के दूसरे ही दिन दिनांक 19 सितंबर, 2016 कॊ पाकिस्तान मॆं स्थित भारतीय दूतावास मॆं भारतीय राजदूत गौतम बॉम्बेवाला द्वारा जिम का उदघाटन किया गया। दुबई में बैठे भारतीय राजदूत वहाँ के राजकुमार के भारत दौरे की तैयारी में व्यस्त थे, तो USA के राजदूत स्वयं अपने विदाई समारोह की पार्टी में व्यस्त थे। और हम क्या कर रहे थे ? गली गली मोमबत्ती जला रहे थे ! तब मैंने एक कविता लिखी "सत्ता के शिकारी" , जिसकी कुछ पंक्तियाँ -
अँग्रेजी में दोनों के हुक्मरान , ढेरों बतियाते रहे  हम उर्दू कॊ , तुम हिन्दी कॊ बेवजह गरियाते रहे ।
सीमा पर मरे सैनिक , हम मोमबत्तियाँ जलाते रहे , उरि से बेखबर राजदूत हमारे , पार्टियाँ मनाते  रहे।
आडवाणी ने जिन्ना के चरणों पे माथा यूँ ही नहीं टेका था , मरते दम तक, जिन्ना का दिल मुंबई में ही क्यूँ अटका था ?

Sandeep Murarka

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